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भारी वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए रेट्रोफिटिंग डिवाइस लगाने के पायलट प्रोजेक्ट का आकलन शुरू

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नई दिल्ली, 13 अगस्त (Udaipur Kiran) । दिल्ली सरकार ने भारी वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए 30 एडवांस्ड कैटेलिटिक कन्वर्टर आधारित रेट्रोफिटिंग डिवाइस लगाने के पायलट प्रोजेक्ट की संभावना का आकलन शुरू किया है। इस पहल की अगुआई दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) कर रही है।

पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बुधवार को बताया कि ये डिवाइस भारी वाहनों के एग्जॉस्ट के साथ लगाई जाएंगी। टेस्टिंग में यह साबित हुआ है कि ये बीएस-3 और बीएस-4 गाड़ियों में पार्टिकुलेट मैटर और अन्य हानिकारक गैसों को 70 फीसद से ज्यादा घटा सकती हैं।

सिरसा ने कहा कि दिल्ली सरकार टेक्नोलॉजी के जरिए प्रदूषण नियंत्रण में एक निर्णायक कदम उठा रही है। यह न केवल भारत में पहली बार हो रहा है बल्कि एक ऐसा समाधान है, जिसे देश के अन्य शहरों और सेक्टर में भी अपनाया जा सकता है। मुझे खुशी है कि कई कंपनियां और इनोवेटर अपने प्रोडक्ट हमारे सामने पेश कर रहे हैं। यह साबित करता है कि दिल्ली अब इनोवेटिव पर्यावरण समाधान लागू करने में लीडर बन रही है। यह फैसला सीएक्यूएम के पुराने और ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को दिल्ली में रोकने के निर्देशों के संदर्भ में लिया गया है। दिल्ली सरकार इन आदेशों का पालन करने के साथ-साथ ऐसे वैज्ञानिक और इनोवेटिव विकल्प देने पर भी ध्यान दे रही है, जो रोजगार को बचाते हुए प्रदूषण को कम करें।

मंत्री ने संबंधित तकनीकी विशेषज्ञों से बैठक के बाद बताया कि इन डिवाइस की उपयोगिता, कम बैक प्रेशर, रिजनरेशन क्षमता और 9,000 किलोमीटर से ज्यादा की फील्ड टेस्टिंग हो चुकी है। यह पायलट एक ट्रायल के साथ-साथ हमारे विजन का हिस्सा भी है। इसके तहत सरकार ऐसे स्थायी और इनोवेटिव समाधान तलाश रही है, जो दिल्ली की हवा साफ करे और जरूरी परिवहन को भी जारी रखें। उन्होंने कहा कि प्रायोगिक तौर पर सफलता के बाद इस तकनीक को बड़े पैमाने पर लागू करने पर विचार किया जाएगा। अगर पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो इसे दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी अपनाया जा सकता है।

मंत्री ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लिए डीपीसीसी को नोडल एजेंसी बनाया गया है, जो पीडब्ल्यूडी, एमसीडी, डीजेबी, हेल्थ जैसे विभागों के साथ समन्वय करेगी और बीएस-4 या उससे पहले के मानकों वाले सरकारी और स्वायत्त संस्थाओं के वाहनों की सूची तैयार करेगी। परिणामों की जांच आईआईटी दिल्ली या आईसीएटी के साथ मिलकर की जाएगी।

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(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव

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