– आईआईवीआर का ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ छह जिलों में दौड़ा, चुनार में दिखा खास उत्साह
मीरजापुर, 28 मई . पहले खेत में बीमारी समझ नहीं आती थी, अब वैज्ञानिक खुद बता रहे हैं कि मिट्टी कैसे सुधरेगी, पानी कैसे बचेगा और पैदावार कैसे बढ़ेगी. मेहंदीगंज के किसान शिवनाथ की ये खुशी आईआईवीआर के ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की सफलता की कहानी खुद बयां कर रही थी.
बुधवार को भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, अदलपुरा की अगुवाई में वाराणसी, चंदौली, मीरजापुर, सोनभद्र, संत रविदास नगर और कुशीनगर समेत कुल छह जिलों में एक साथ ‘ड्राई रन’ आयोजित किया गया. मकसद था , खेतों में विज्ञान को पहुंचाना और किसानों को नई तकनीकों से लैस करना
ड्रोन उड़ता देख तालियों से गूंज उठा मैदान
वाराणसी के आराजी लाइन ब्लॉक के मेहंदीगंज गांव में आयोजित कार्यक्रम में जैसे ही आसमान में ड्रोन उड़ा, किसान बच्चे बन गए. किसी ने मोबाइल से वीडियो बनाया, तो कोई वैज्ञानिकों से पूछ बैठा – ई ड्रोन से दवा डलवा सकेला?
वहीं विशेषज्ञों ने समझाया कि कैसे ड्रोन खेतों में दवा छिड़काव, सर्वेक्षण और निगरानी में अहम भूमिका निभा रहा है. इस तकनीक से समय, पानी और पैसे तीनों की बचत होती है.
वैज्ञानिकों से सवाल-जवाब में किसानों ने झोंकी ताकत
कार्यक्रम में 500 से अधिक किसानों ने हिस्सा लिया. खास बात यह रही कि किसान केवल दर्शक नहीं बने, बल्कि मंच पर बैठे वैज्ञानिकों से खुलकर सवाल पूछे.
आईआईवीआर के विशेषज्ञों ने धैर्य से हर सवाल का जवाब दिया और बताया कि किस तरह सूक्ष्मजीव आधारित जैविक समाधान, संतुलित उर्वरक प्रयोग और जलवायु अनुकूल फसलें टिकाऊ खेती की ओर ले जा रही हैं.
खेती अब परंपरा नहीं, विज्ञान है – डॉ. राजेश कुमार
संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि अब खेती परंपरा से नहीं, विज्ञान से चलेगी. यही लक्ष्य है ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का.
उन्होंने बताया कि यह पहल किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ मृदा स्वास्थ्य, पानी की बचत और पर्यावरण संतुलन को भी साधने का जरिया बनेगी.
/ गिरजा शंकर मिश्रा
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