रांची, 20 अप्रैल . पेयजल विभाग में हुए घोटाले में पूर्व मंत्री मिथिलेश ठाकुर को भी हिस्सा मिला है. उनके भाई विनय ठाकुर ने कमीशन में मिले हिस्से की मनी लाउंड्रिंग की है. पेयजल विभाग के तत्कालीन सचिव मनीष रंजन की पत्नी मानस कुमार के साथ मिल कर ऑरेंज मिडिया इंफो प्राईवेट लिमिटेड नामक कंपनी चलाती है.
पेयजल विभाग के टेंडर के मूल्य का 10 प्रतिशत कमीशन के रुप में वसूला जाता था. इसमें से मंत्री, सचिव, इंजीनियर और दूसरे अधिकारियो को हिस्सा मिलता था. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने एडजुडिकेटिंग ऑथरिटी में दायर याचिका में रविवार को यह बात कही है.
ईडी ने पेयजल घोटाले में छापामारी के दौरान अस्थायी रूप से जब्त सामग्रियों जिसमें निवेश से संबंधित दस्तावेज, नकद और एफडी को स्थायी रूप से जब्त करके रखने की अनुमति मांगी थी. ईडी ने इसमें कुल 15 लोगों को प्रतिवादी बनाया था. इनमें आईएएस अधिकारी मनीष रंजन, अधीक्षण अभियंता, कार्यपालक अभियंता, सीए सहित अन्य शामिल हैं.
एडजुडिकेटिंग ऑथरिटी ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद ईडी के अनुरोध को स्वीकार करते हुए पीएमएलए की धारा 20, 21 के तहत छापेमारी के दौरान जब्त सामग्रियों को आगे की जांच के लिए महत्वपूर्ण मानते हुए जब्त रखने का आदेश दिया है.
साथ ही प्रतिवादियों को फैसला के खिलाफ़ ट्रिब्यूनल में अपील करने का समय दिया है.
इडी की ओर से दायर याचिका में पीएमएलए की धारा 50 के तहत दर्ज किये गये बयान मे मिले तथ्यों की जानकारी दी गयी है. इसमें कहा गया है कि संतोष कुमार ने अपने बयान में यह स्वीकार किया है कि पेयजल विभाग में टेंडर मूल्य का 10 प्रतिशत कमीशन के तौर पर वसूला जाता है.
कमीशन के रकम की वसूली इंजीनियर सुरेश कुमार के माध्यम से की जाती थी. विभाग के टेंडर पर उसका नियंत्रण है. कमीशन के तौर पर वसूली जाने वाली रकम में विभागीय मंत्री, सचिव, इंजीनियरों और अन्य कर्मचारियों की हिस्सेदारी निश्चित थी.
संतोष ने अपने बयान में करीब 23 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी में से बांटे गये 12 करोड़ रुपये का ब्योरा भी दिया है. हिस्सा लेने वालों में इंजीनियर निरंजन कुमार, प्रभात कुमार सिंह, चंद्रशेखर सहित अन्य का नाम शामिल है.
इंजीनियर निरंजन कुमार का सीए मनीष कुमार अग्रवाल है. वह निरंजन कुमार की काली कमाई को निवेश करने में मदद करता है. ईडी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि विभाग में टेंडर से कमीशन के तौर पर होने वाली वसूली में मंत्री को भी एक निश्चित हिस्सा मिलता था.
याचिका के मुताबिक तत्कालीन मंत्री मिथिलेश ठाकुर का भाई विनय कुमार ठाकुर मनी लाउंड्रिंग में शामिल है. वह अपने मंत्री भाई को कमीशन के रूप में मिली राशि का लाउंड्रिंग, वेदांत खीरवाल की मदद से करता है. वेदांत खीरवाल, विनय ठाकुर का करीबी है.
इडी की याचिका में पेयजल विभाग के पूर्व सचिव मनीष रंजन की चर्चा करते हुए कहा गया है कि कमीशन में उन्हें भी हिस्सा मिलता था. उनकी पत्नी, ऑरेंज मीडिया इंफो प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी में निदेशक हैं. इस कंपनी का एक निदेशक मानस कुमार है.
मानस कुमार आईएएस अधिकारी मनीष रंजन का करीबी है. विभोर सिंघानिया, मनीष रंजन का करीबी है. मनीष रंजन की कमाई को निवेश कराने में उसकी अहम भूमिका है.
ईडी ने याचिका में कहा है कि विभाग के रिटायर्ड इंजीनियर इन चीफ रघुनंदन प्रसाद भी तत्कालीन मंत्री के करीबी हैं. उन्हें भी कमीशन में हिस्सा मिलता था. ईडी ने अपनी याचिका में इन तथ्यों का उल्लेख करते हुए यह भी कहा है कि इन सभी बिंदुओं पर आगे की जांच जारी है.
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/ Vinod Pathak
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