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चिकित आयुर्वेद की संहिताओं में चिकित्सा के साथ अन्य विषयों का मिलता है वैज्ञानिक वर्णन : डॉ. विष्णुमाया

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गोरखपुर, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) l* महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, गोरखपुर (एमजीयूजी) के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में संहिता सिद्धांत विभाग द्वारा शुक्रवार को चरक संहिता पर शैक्षणिक व्याख्यान का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर स्त्री एवं प्रसूति तंत्र विभागाध्यक्ष डॉ. विष्णुमाया ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आयुर्वेद की प्राचीन संहिताएं केवल चिकित्सा विज्ञान तक ही सीमित नहीं हैं। बल्कि जीवन की उत्पत्ति, संतति की शुद्धता, मातृ-शिशु स्वास्थ्य और स्वस्थ समाज की परिकल्पना तक का गहन विवेचन प्रस्तुत करती हैं। उन्होंने बताया कि चरक संहिता के अंतर्गत जाति सूत्रीय अध्याय में गर्भ की उत्पत्ति, मातृ एवं पितृ योगदान, आहार-विहार, मानसिक स्थिति तथा पर्यावरणीय प्रभावों का अत्यंत सूक्ष्म और वैज्ञानिक वर्णन मिलता है। यह अध्याय बताता है कि संतानोत्पत्ति केवल जैविक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसमें आचार, विचार और भावनाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। उन्होंने कहा कि चरक संहिता का यह अध्याय आधुनिक प्रसूति विज्ञान और स्त्री-रोग विज्ञान की अवधारणाओं से मेल खाता है। गर्भावस्था के समय माता के आहार, दिनचर्या और मनोभाव का शिशु के शारीरिक एवं मानसिक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसीलिए आयुर्वेद में ‘गर्भिणी परिचर्या’ का विशेष उल्लेख किया गया है, जिसका उद्देश्य स्वस्थ संतान एवं निरोगी समाज का निर्माण है। डॉ. विष्णुमाया ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि आयुर्वेद की शाश्वत शिक्षाओं को आधुनिक चिकित्सा दृष्टिकोण के साथ जोड़कर अध्ययन करना चाहिए, ताकि समाज को लाभ मिल सके।

कार्यक्रम में संहिता सिद्धांत के विभागाध्यक्ष डॉ शांति भूषण ने विषय की महत्ता पर प्रकाश डाला और विद्यार्थियों को इस ज्ञान के व्यावहारिक पक्ष को समझने के लिए प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर आचार्य साध्वी नन्दन पाण्डेय आभार ज्ञापन करते हुए कहा कि आयुर्वेद का प्राचीन ज्ञान आज भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रासंगिक है और चिकित्सा शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर इनका अध्ययन करना आवश्यक है। कार्यक्रम का संचालन शगुन ने किया। कार्यक्रम में उप प्राचार्य डॉ. सुमित सहित सभी प्राध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय

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