– एसएचओ राजपुर को शपथपत्र पेश करने के दिए निर्देश
नैनीताल, 21 अप्रैल . हाई कोर्ट ने नदी, नालों खालों में में अतिक्रमण के मामले में दायर कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद दो मई की तिथि नियत करते हुए एसएचओ राजपुर को शपथपत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं कि जो रसूरदार नदी, नाले एवं खालों को भर रहे हैं, उनपर अभी तक एफआईआर दर्ज हुई या नहीं. पूर्व में कोर्ट ने बिंदाल नदी देहरादून से 30 जून 2025 तक पूरा अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने नदी नाले खाले में देहरादून में बिना स्वीकृत मानचित्र निर्माण कार्य कर रहे हैं, उस पर राेक लगा दी थी. पूर्व ओदश के क्रम में प्रमुख सचिव वन, सचिव राजस्व, सचिव सिंचाई व शहरी विकास वीसी के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए. उन्हें अगली तिथि पर भी कोर्ट में वीसी के माध्यम से को में उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं.
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई. मामले के अनुसार देहरादून निवासी रीनू पाल ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि ऋषिकेश भानियावाला के बीच सड़क चौड़ीकरण के लिए 3 हजार से अधिक पेड़ों को काटने के लिए चिन्हित किया गया है जोकि एलीफेंट कॉरिडोर के मध्य में आता है, जिसकी वजह से हाथी कॉरिडोर सहित अन्य जंगली जानवर प्रभावित हो सकते है. इसके बनने से जानवरों की दिनचर्या प्रभावित हो सकती है. लिहाजा इस पर रोक लगाई जाए. पूर्व में भी उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद शिवालिक एलीफेंट रिजर्व को संरक्षित किया गया था. याचिका में कहा कि देहरादून में कई जगह अतिक्रमण किया गया है. पूर्व में कोर्ट ने रीनू पाल की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार को बिंदाल नदी देहरादून से 30 जून 2025 तक पूरा अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने नदी नाले खाले में देहरादून में बिना स्वीकृत मानचित्र निर्माण कार्य कर रहे हैं उस पर राेक लगा दी थी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि बिंदाल नदी के अतिक्रमण पर 22 दिसंबर 2021 के आदेश का पालन नहीं किया गया है जिसमें कोर्ट ने डीएम देहरादून को कहा था कि वे नदी संरक्षण के संबंध को देखें. दूसरी ओर अजय नारायण शर्मा की जनहित याचिका पर कहा कि कोर्ट ने 10 नवंबर 2021 को मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वह प्रत्येक तीन वषोँ में हवा, पानी, प्रदूषण आदि का सर्वे किया जाए और गिरते स्तर का उपाय करें. वही उर्मिला थापा की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा कि 31 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट ने कहा था कि अतिक्रमण हटाने पर प्रत्येक सप्ताह कोर्ट में रिपोर्ट पेश की जाए लेकिन वह भी आठ माह से पेश नहीं की गई.
हाईकोर्ट ने पूर्व में देहरादून जिले में नालों और गधेरों से अतिक्रमण हटाने, वहां सीसीटीवी लगाने, डीजीपी को अतिक्रमणकारियों पर मुकदमा दर्ज कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए थे. सचिव शहरी विकास को नदी-नालों एवं गधेरों में अतिक्रमण न करने, मलबा न फेंकने, अवैध खनन न करने का संदेश प्रसारित करने के निर्देश दिए थे.
देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा, रेनू पाल व उर्मिला थापर ने अलग-अलग जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सहस्रधारा में जलमग्न भूमि पर भारी निर्माण किए जा रहे हैं, जिससे जलस्रोतों के सूखने के साथ पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है, जबकि दूसरी याचिका में कहा गया है कि ऋषिकेश में नालों, खालों और ढांग पर अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण किया गया. याचिका में बताया गया था कि देहरादून में 100 एकड़, विकासनगर में 140 एकड़, ऋषिकेश में 15 एकड़, डोईवाला में 15 एकड़ नदी भूमि पर अतिक्रमण है. खासकर बिंदाल व रिस्पना नदी पर.—————-
/ लता
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