New Delhi, 10 नवंबर (Udaipur Kiran) . दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) मुख्यालय में Monday को उर्दू दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर मुशायरे का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में उर्दू भाषा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले निगम कर्मचारियों को सम्मानित किया गया. बलराम शर्मा, हुमा अब्बासी, फरहीन को यह पुरस्कार दिया गया.
इस अवसर पर नगर निगम के उप महापौर जयभगवान यादव, स्थायी समिति की अध्यक्ष सत्या शर्मा, नेता सदन प्रवेश वाही तथा अतिरिक्त आयुक्त पंकज नरेश अग्रवाल सहित निगम के अनेक अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे.
उप महापौर जयभगवान यादव ने अपने संबोधन में कहा कि उर्दू भाषा सिर्फ एक जबान नहीं बल्कि गंगा-जमुनी तहजीब की पहचान है. यह भाषा दिलों को जोड़ने का काम करती है. दिल्ली नगर निगम सदैव सभी भाषाओं और संस्कृतियों के सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होने कहा कि नगर निगम प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपराओं को सहेजने में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है. उर्दू दिवस इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
स्थायी समिति की अध्यक्ष सत्या शर्मा ने कहा कि उर्दू की खूबसूरती उसकी नजाकत और अदब में छिपी है. उन्होंने कहा कि हिन्दी उर्दू भाई-बहन है. हमें गर्व है कि निगम परिवार में अनेक अधिकारी और कर्मचारी इस भाषा को आगे बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं.
नेता सदन प्रवेश वाही ने कहा कि भाषा किसी भी समाज की आत्मा होती है. उर्दू दिवस हमें यह संदेश देता है कि हम सभी भाषाओं के प्रति समान आदर और प्रेम बनाए रखें. उन्होंने कहा कि यह किसी धर्म विशेष की भाषा नहीं है बल्कि तहजीब और अदब की भाषा है.
कार्यक्रम की विशेष आकर्षण एक भव्य मुशायरा संध्या रही, जिसमें देश के प्रसिद्ध शायरों और कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.
इस अवसर पर स्वर्गीय राहत इंदौरी के सुपुत्र सतलज इंदौरी ने अपनी शायरी पेश कर सभागार में भावनाओं और तालियों की गूंज भर दी.
इनके साथ-साथ प्रसिद्ध हिंदी कवि मोहन मुन्तजिर, शायर अकमल बलरामपुरी, दमदार बनारसी, मुजम्मिल अयूब तथा कवयित्री निधि कशिश ने भी अपनी शानदार रचनाएं प्रस्तुत कीं.
प्रतिभागियों ने कहा कि उर्दू दिवस ने सभी को इस भाषा की मिठास, नजाकत और तहजीब की अहमियत का एहसास कराया. सभी ने नगर निगम द्वारा ऐसे आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रयास न केवल भाषा के संवर्धन की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि दिलों को जोड़ने वाली संस्कृति को भी जीवंत बनाए रखता है.
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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी
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