25 अप्रैल, 2025 को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने श्रीनगर का दौरा किया। यह दौरा 22 अप्रैल को पहलगाम के बाइसारन में हुए आतंकी हमले के बाद हुआ, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई। राहुल गांधी ने न केवल घायलों और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की, बल्कि श्रीनगर में एक सभा को संबोधित करते हुए आतंकवाद के खिलाफ देश की एकजुटता पर जोर दिया। उनकी यह यात्रा कश्मीर के लोगों और पूरे देश के लिए एकजुटता और संवेदना का संदेश लेकर आई। आइए, इस दौरे और इसके मायने को समझते हैं।
पहलगाम हमले का दर्द
पहलगाम का बाइसारन, जिसे “मिनी स्विट्जरलैंड” के नाम से जाना जाता है, 22 अप्रैल को आतंक की भेंट चढ़ गया। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट ने इस हमले की जिम्मेदारी ली, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली पर्यटक मारे गए। आतंकियों ने कथित तौर पर पर्यटकों की धार्मिक पहचान पूछकर गोलीबारी की, जिसने देश को झकझोर दिया। इस हमले ने कश्मीर की शांति और पर्यटन पर गहरा आघात पहुंचाया। राहुल गांधी ने इस त्रासदी को “मानवता पर हमला” करार दिया और इसे कश्मीरियत के खिलाफ साजिश बताया।
श्रीनगर में राहुल गांधी का संबोधन
श्रीनगर में एक सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, “पहलगाम हमला केवल पर्यटकों पर नहीं, बल्कि हमारे देश की आत्मा पर हमला है। आतंकवाद के खिलाफ पूरा देश एकजुट है। हमें मिलकर इस नफरत को हराना होगा।” उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि वह जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करे ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। राहुल ने कश्मीर के लोगों की मेहमाननवाजी की तारीफ की और कहा कि यह हमला कश्मीरियत के मूल्यों को नष्ट करने की कोशिश है। उनके इस संबोधन ने स्थानीय लोगों में विश्वास जगाया और राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया।
पीड़ितों से मुलाकात: संवेदना और समर्थन
राहुल गांधी ने श्रीनगर के बादामीबाग कैंटोनमेंट और अनंतनाग के सरकारी मेडिकल कॉलेज (GMC) अस्पताल में पहलगाम हमले के घायलों और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने घायलों का हालचाल जाना और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। एक घायल पर्यटक ने बताया, “राहुल जी ने हमसे बात की और कहा कि पूरा देश हमारे साथ है। उनकी बातों से हमें हिम्मत मिली।” राहुल ने पीड़ित परिवारों को आश्वासन दिया कि कांग्रेस उनकी हरसंभव मदद करेगी। इस मुलाकात ने उनके मानवीय और संवेदनशील पक्ष को उजागर किया।
सरकार पर सवाल और एकजुटता का आह्वान
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “सरकार जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति के दावे करती है, लेकिन यह हमला सुरक्षा में चूक को दर्शाता है। अब खोखले दावों का समय नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने का समय है।” उन्होंने खुफिया चेतावनियों को नजरअंदाज करने पर सवाल उठाए और एक सर्वदलीय बैठक की मांग दोहराई। साथ ही, उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हों। राहुल ने कहा, “यह समय राजनीति का नहीं, बल्कि देश की एकता और सुरक्षा का है।”
कश्मीर में माहौल और जनता की प्रतिक्रिया
पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में गम और गुस्से का माहौल है। श्रीनगर और अन्य शहरों में लोगों ने कैंडल मार्च निकाले और हमले की निंदा की। स्थानीय लोग चिंतित हैं, क्योंकि पर्यटन उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत है। एक होटल मालिक ने कहा, “यह हमला हमारे मेहमानों पर हमला है। हम चाहते हैं कि सरकार दोषियों को सजा दे और पर्यटकों का भरोसा बहाल करे।” राहुल गांधी के दौरे ने इस माहौल में कुछ राहत दी। सोशल मीडिया पर लोग उनके इस कदम की तारीफ कर रहे हैं, और #PahalgamAttack और #RahulGandhi जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
सरकार की कार्रवाई और राहुल की भूमिका
हमले के बाद सरकार ने कई कड़े कदम उठाए, जैसे सिंधु जल समझौते को निलंबित करना और वाघा-अटारी चेकपोस्ट बंद करना। राहुल गांधी ने इन कदमों का समर्थन किया, लेकिन जोर दिया कि सुरक्षा चूक की जांच होनी चाहिए। उन्होंने 24 अप्रैल को दिल्ली में हुई सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने कहा, “विपक्ष सरकार के हर कदम के साथ है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।” उनकी यह सक्रियता विपक्ष के जिम्मेदार और रचनात्मक रुख को दर्शाती है।
निष्कर्ष: एकता और उम्मीद का संदेश
राहुल गांधी का श्रीनगर दौरा और पहलगाम हमले के पीड़ितों से मुलाकात न केवल संवेदना का प्रतीक है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ देश की एकजुटता का संदेश भी देता है। उनका संबोधन और पीड़ितों के प्रति समर्पण कश्मीर के लोगों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया। यह समय है कि सरकार और जनता मिलकर आतंकवाद को जड़ से उखाड़ें और कश्मीर की वादियों में फिर से शांति लौटाएं। आइए, शहीदों को श्रद्धांजलि दें और एक सुरक्षित, समृद्ध भारत के लिए संकल्प लें।
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