शिक्षक समाज की रीढ़ होते हैं, लेकिन उनकी जिंदगी में तनाव और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। शिक्षा के क्षेत्र में काम करना आसान नहीं है। लंबे घंटे, छात्रों की जिम्मेदारी, पैरेंट्स की उम्मीदें और स्कूल की डेडलाइन्स – ये सब मिलकर शिक्षकों को थका देते हैं। एक हालिया सर्वे में पता चला है कि भारत में 60% से ज्यादा शिक्षक तनाव से जूझ रहे हैं, जो उनकी उत्पादकता और खुशी पर असर डालता है। लेकिन अच्छी खबर ये है कि कुछ आसान तरीकों से इस संतुलन को बनाया जा सकता है। आइए जानते हैं कैसे।
तनाव के मुख्य कारण क्या हैं?शिक्षकों का तनाव कई वजहों से आता है। सबसे पहले तो काम का बोझ – क्लास रूम में पढ़ाना, होमवर्क चेक करना, एक्स्ट्रा एक्टिविटी और एडमिन काम। इसके अलावा, छात्रों के व्यवहार से निपटना, जैसे अनुशासन की समस्या या लर्निंग डिसएबिलिटी वाले बच्चों को हैंडल करना। पैरेंट्स और स्कूल मैनेजमेंट की तरफ से प्रेशर भी कम नहीं होता। कोरोना महामारी के बाद ऑनलाइन टीचिंग ने इसे और बढ़ा दिया, जहां टेक्नोलॉजी और स्क्रीन टाइम ने थकान को दोगुना कर दिया। इन सबके चलते नींद की कमी, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन जैसी समस्याएं आम हो गई हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर और खतरेतनाव अगर लंबे समय तक रहे तो ये मानसिक स्वास्थ्य को बिगाड़ सकता है। शिक्षकों में बर्नआउट सिंड्रोम बहुत कॉमन है, जहां वे थकान महसूस करते हैं और काम से दूर भागने लगते हैं। इससे न सिर्फ उनकी पर्सनल लाइफ प्रभावित होती है, बल्कि छात्रों की पढ़ाई पर भी असर पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, तनाव से जुड़ी बीमारियां जैसे एंग्जाइटी और डिप्रेशन शिक्षकों में बढ़ रही हैं। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो ये गंभीर रूप ले सकती हैं, जैसे हार्ट प्रॉब्लम्स या इम्यून सिस्टम की कमजोरी।
तनाव प्रबंधन के आसान तरीकेअच्छी बात ये है कि तनाव को मैनेज करना मुश्किल नहीं है। सबसे पहले, रोजाना एक्सरसाइज करें – जैसे वॉकिंग या योगा। मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग से मन शांत रहता है। काम और पर्सनल लाइफ में बैलेंस बनाएं, जैसे वीकेंड पर फैमिली टाइम रखें। स्कूलों को भी सपोर्ट सिस्टम बनाने चाहिए, जैसे काउंसलिंग सेशन्स या मेंटल हेल्थ वर्कशॉप्स। साथ ही, हेल्दी डाइट और अच्छी नींद लें। अगर समस्या ज्यादा हो तो प्रोफेशनल हेल्प लें, जैसे साइकोलॉजिस्ट से बात करें। ये छोटे बदलाव शिक्षकों की जिंदगी को बेहतर बना सकते हैं।
शिक्षा कार्य में संतुलन कैसे बनाएं?शिक्षा के काम में संतुलन बनाना जरूरी है। टाइम मैनेजमेंट सीखें, जैसे प्राथमिकताएं तय करें और ना कहना सीखें। सहकर्मियों से मदद लें और पॉजिटिव माइंडसेट रखें। सरकार और स्कूलों को भी पॉलिसी बनानी चाहिए, जैसे मेंटल हेल्थ लीव या ट्रेनिंग प्रोग्राम्स। जब शिक्षक खुश और स्वस्थ रहेंगे, तभी वे छात्रों को बेहतर शिक्षा दे पाएंगे। आखिरकार, एक स्वस्थ शिक्षक ही एक स्वस्थ समाज की नींव रखता है।
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