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Cricket News : जानिए उस भारतीय क्रिकेटर के बारे में जिसने एशिया कप जितवाया, मगर टीम से हुआ बाहर जल्दी

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Cricket News : एशिया कप 2025 को लेकर क्रिकेट प्रेमियों में जोश चरम पर है। भारतीय टीम एक बार फिर ट्रॉफी अपने नाम करने की प्रबल दावेदार है। भारत ने आखिरी बार 2023 में एशिया कप का खिताब जीता था और अब तक सात बार यह खिताब अपने नाम कर चुका है, जिससे वह इस टूर्नामेंट की सबसे सफल टीम बन गई है। वहीं, श्रीलंका ने 6 बार और पाकिस्तान ने दो बार यह खिताब हासिल किया है। इस बार एशिया कप दुबई में होने जा रहा है, जहां 14 सितंबर को भारत और पाकिस्तान के बीच महामुकाबला होगा, जिसका इंतजार हर क्रिकेट फैन को है!

1984 में भारत ने रचा था इतिहास

पहला एशिया कप 1984 में शारजाह में खेला गया था, जहां भारतीय टीम ने धमाकेदार प्रदर्शन के साथ खिताब अपने नाम किया। इस टूर्नामेंट में भारत ने श्रीलंका और पाकिस्तान को हराकर जीत का परचम लहराया। इस जीत के सबसे बड़े हीरो थे विकेटकीपर-ओपनर सुरिंदर खन्ना, जिन्होंने अपने शानदार खेल से सभी का दिल जीत लिया।

सुरिंदर खन्ना का जलवा

पहले एशिया कप में सुरिंदर खन्ना ने बल्ले और विकेटकीपिंग दोनों से कमाल दिखाया। पहले मैच में श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने गुलाम पारकर के साथ ओपनिंग की और नाबाद 51 रनों की शानदार पारी खेलकर भारत को 10 विकेट से जीत दिलाई। अगले मैच में पाकिस्तान के खिलाफ भी उन्होंने अपनी फॉर्म बरकरार रखी। 56 रनों की धमाकेदार पारी के साथ-साथ विकेट के पीछे दो शानदार स्टंपिंग करके उन्होंने अपनी क्लास दिखाई। पूरे टूर्नामेंट में दिल्ली के इस खिलाड़ी ने बल्ले से रन बटोरे और विकेटकीपिंग में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। दोनों मैचों में “मैन ऑफ द मैच” और टूर्नामेंट के अंत में “मैन ऑफ द सीरीज” का खिताब उनके नाम रहा।

छोटा लेकिन शानदार करियर

सुरिंदर खन्ना का अंतरराष्ट्रीय करियर ज्यादा लंबा नहीं रहा। उन्होंने 9 जून 1979 को वेस्टइंडीज के खिलाफ एजबेस्टन में अपने वनडे करियर की शुरुआत की थी। लेकिन उनका करियर सिर्फ 10 वनडे मैचों तक ही सीमित रहा। आखिरी वनडे उन्होंने 12 अक्टूबर 1984 को पाकिस्तान के खिलाफ क्वेटा के अयूब नेशनल स्टेडियम में खेला। अपने करियर में उन्होंने 22 की औसत से 176 रन बनाए और चार स्टंपिंग भी कीं। घरेलू क्रिकेट में दिल्ली के लिए खेलते हुए उन्होंने 106 प्रथम श्रेणी मैचों में 43 की औसत से 5,337 रन बनाए। 1987-88 में हिमाचल प्रदेश के खिलाफ उनकी नाबाद 220 रनों की पारी उनके करियर का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन रहा।

इंदिरा गांधी की हत्या और करियर का अंत

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू मैदान पर चार वनडे मैचों में खन्ना का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा, लेकिन उन्हें पाकिस्तान दौरे के लिए टीम में चुना गया। क्वेटा में पहले वनडे में उन्होंने 37 गेंदों में 31 रन बनाए, लेकिन भारत 153 रनों पर ढेर हो गया। सियालकोट में अगले वनडे से पहले उन्हें हैमस्ट्रिंग की चोट लग गई और उनकी जगह सैयद किरमानी को टीम में शामिल किया गया। तभी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दौरा रद्द हो गया। इसके बाद खन्ना को फिर कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मौका नहीं मिला।

रिटायरमेंट के बाद नई पारी

क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद सुरिंदर खन्ना ने नई पारी शुरू की। वे ऑल इंडिया रेडियो के लिए क्रिकेट विशेषज्ञ बने और अपनी गहरी समझ से फैंस का मनोरंजन किया। इसके अलावा, उन्होंने पीतमपुरा डीडीए स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में अपनी क्रिकेट अकादमी शुरू की, जहां 4 से 35 साल तक के खिलाड़ियों को कोचिंग दी। खन्ना ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) में उप महाप्रबंधक (खेल) के रूप में भी काम किया और फुटबॉल व तीरंदाजी अकादमियों की स्थापना में योगदान दिया। सेल ओपन गोल्फ टूर्नामेंट की शुरुआत का श्रेय भी उन्हें जाता है।

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