EPF Withdrawal Rules : कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) से जुड़े नियमों में जल्द ही बड़ा बदलाव हो सकता है। EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) ने 13 अक्टूबर को कुछ नए सुधारों का प्रस्ताव रखा है, जो दावा प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाने का दावा करते हैं।
हालांकि, इन बदलावों को लेकर कर्मचारियों में चिंता भी बढ़ रही है, क्योंकि अब नौकरी छूटने के बाद पूरी रकम निकालने के लिए ज्यादा इंतजार करना पड़ सकता है। ये EPF नियमों में बदलाव लाखों सैलरी वालों की जिंदगी पर असर डाल सकते हैं, तो आइए जानते हैं क्या-क्या बदलने वाला है।
नौकरी छूटने के बाद 25% रकम पर 1 साल की रोक लगेगी
अब तक अगर कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ देता है, तो वह एक महीने बाद अपने EPF खाते से 75% तक की राशि निकाल सकता था और दो महीने बाद पूरी राशि। लेकिन प्रस्तावित EPF नियमों के अनुसार, नौकरी छूटने के बाद कर्मचारी सिर्फ 75% रकम ही तुरंत निकाल पाएंगे। बाकी 25% रकम उन्हें 12 महीने के बाद ही मिलेगी।
ये बदलाव उन लोगों के लिए चिंता का सबब बन रहा है जो नौकरी जाने के बाद अपनी EPF जमा राशि पर पूरी तरह निर्भर रहते हैं। कल्पना कीजिए, आर्थिक तंगी में 25% पैसे का एक साल इंतजार – ये कितना मुश्किल हो सकता है!
अच्छी खबर: नियोक्ता का पैसा भी अब जल्दी निकाल सकेंगे
हालांकि एक राहत की बात ये है कि अब कर्मचारी सिर्फ अपने योगदान और ब्याज ही नहीं, बल्कि नियोक्ता द्वारा जमा की गई राशि को भी निकाल सकेंगे। पहले ये सुविधा पूरी निकासी के समय ही मिलती थी, लेकिन अब इसे आंशिक निकासी में भी शामिल किया जा सकता है। EPFO के इस कदम से EPF खाते में नियोक्ता का हिस्सा पहले ही उपलब्ध हो जाएगा, जो कई कर्मचारियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
निकासी के कारणों को अब सिर्फ 3 कैटेगरी में सरल बनाया गया
EPFO ने आंशिक निकासी के नियमों को भी आसान करने का प्रस्ताव दिया है। अब तक आंशिक निकासी के लिए 13 अलग-अलग कारण होते थे, लेकिन अब इन्हें सिर्फ तीन श्रेणियों में बाँट दिया गया है। पहली जरूरी जरूरतें (जैसे बीमारी, शिक्षा, विवाह), दूसरी घर से जुड़ी जरूरतें और तीसरी विशेष परिस्थितियां (जैसे आपदा, लॉकडाउन, महामारी आदि)।
इसके अलावा, शिक्षा और विवाह जैसे कारणों के लिए निकासी की बार-बार अनुमति दी जाएगी। अब शिक्षा के लिए 10 बार और विवाह के लिए 5 बार तक आंशिक निकासी की जा सकेगी, जो पहले सिर्फ 3 बार ही संभव थी। वहीं पहले EPF से निकासी के लिए सेवा की न्यूनतम अवधि अब 1 साल कर दी गई है। इससे नए कर्मचारियों के लिए भी अपने EPF पैसे तक पहुंच आसान हो जाएगी। ये बदलाव EPF प्रक्रिया को और यूजर-फ्रेंडली बनाने की कोशिश लगते हैं।
पेंशन निकासी में अब 3 साल का लंबा इंतजार
EPFO ने पेंशन राशि की निकासी में भी बदलाव किया है। जिन कर्मचारियों ने 10 साल की सेवा पूरी नहीं की है और समय से पहले पेंशन निकालना चाहते हैं, उन्हें अब 36 महीने यानी तीन साल तक इंतजार करना होगा। पहले ये समय सिर्फ 2 महीने का था।
इस बदलाव का मकसद ये है कि लोग जल्दी-जल्दी अपना EPF खाता बंद न करें और लंबी अवधि तक पेंशन और सामाजिक सुरक्षा का लाभ उठा सकें। आंकड़ों के मुताबिक, 75% लोग 10 साल से पहले ही खाता बंद कर देते हैं, जिससे वे भविष्य की पेंशन से वंचित रह जाते हैं। EPFO का ये प्रयास EPF को लॉन्ग-टर्म सेविंग टूल बनाने का है।
बचत को मजबूत बनाना या तत्काल जरूरत में बाधा?
सरकार का कहना है कि ये नए EPF नियम कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के लिए बेहतर बचत सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हैं। लेकिन जमीनी हकीकत ये भी है कि नौकरी छूटने या आर्थिक तंगी के समय लोग अपने ही EPF पैसे से वंचित हो सकते हैं।
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि ये नियम दीर्घकालिक सुरक्षा तो दे सकते हैं, लेकिन अल्पकालिक नकदी संकट वाले कर्मचारियों को इससे नुकसान हो सकता है। कुल मिलाकर, EPF बदलावों का असर हर उस शख्स पर पड़ेगा जो अपना फ्यूचर सिक्योर करने के लिए EPF पर भरोसा करता है।
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