मेरे अपने सबके एक ही राम, एक ही राम।
तुलसी हो या वाल्मीकि हो, या फिर कंबन महिर्षि हो,
रामायण तो बहुत सी है, पर सभी जो पढ़ते केवल
एक ही नाम, एक ही राम।
मेरे अपने सबके एक ही राम, एक ही राम।
राम जो घर के सबसे बड़े थे,
प्रेम और करुणा से भरे थे,
पहुँच गए जो पुण्य धाम
मेरे अपने सबके एक ही राम, एक ही राम।
मेरे जीवन की हैं वो
सारी सारी की सारी अनुभूति तमाम
आगे बढ़ना, चलते रहना मंज़िल को पाना,
कहते हैं वो, यही है काम
मेरे अपने सबके एक ही राम, एक ही राम।
सुनने वाले हम सबकी अरदास
जब टूटती है जीवन की सांस
भजना है हम सबको, बस एक ही नाम
मेरे अपने सबके एक ही राम, एक ही राम।
खुश रहना, जीवन जीना
बस अनुशासन की रखो लगाम
बाकी सब छोड़ दो उस पर, जिनका है बस एक ही नाम,
मेरे अपने सबके एक ही राम, एक ही राम।
You may also like
8th Pay Commission: Expected Changes in HRA Rates and Salary Hike for Central Employees
50 kg वजन वाले लोग रोजाना करें इतने पानी का सेवन. डॉक्टर के बताया पानी पीने का सबसे बढ़िया समय ⤙
हीरोईन जैसी खूबसूरती पाने के लिए खाली पेट इस चीज का सेवन करना करें शुरू ⤙
देश और सैनिकों की सुरक्षा से कोई भी समझौता माफी के योग्य नहीं : अखिलेश यादव
गाजा में दो इजरायली सैनिक मारे गए